थायरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की लगभग सभी क्रियाओं पर अपना प्रभाव डालते हैं। बालकों के विकास में इन ग्रंथियों का विशेष योगदान है। यह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस को पचाने में उत्प्रेरक का काम करती है। इससे शरीर के ताप नियंत्रण में शरीर के विजातीय द्रव्य (विष) को बाहर निकालने में सहायता मिलती है। इसके असंतुलन से अनिद्रा उत्तेजना तथा घबराहट जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं ,मधुमेह रोग होने की प्रबल सम्भावना बढ़ जाती है।
ये बीज नहीं है बेकार |This seed is not useless
- हाइपो थायरॉइडिज्म में चेहरे का फूल जाना, त्वचा का शुष्क होना ,डिप्रेशन ,वजन का अचानक बढ़ना ,थकान का आना ,शरीर में पसीने की कमी ,दिल की गति का कम होना ,अनियमित या अधिक माहवारी का होना ,कब्ज का बनना आदि रोग पैदा होते हैं।
- हाइपर थायरॉयडिज्म के लक्षणों में बालों का झड़ना ,हाथ में कंपन होना ,अधिक गर्मी व पसीना आना ,वजन का घटना ,खुजली व त्वचा का लाल होना ,दिल की धङकन का बढ़ना ,कमजोरी महसूस होना आदि आते है
थायरॉइड के सामान्य लक्षण- सामान्य रूप से तेजी से वजन घटने, भूख न लगना और पसीना अधिक आना, अनैच्छिक कपकपीं, असामान्य रूप से तेजी से दिल की धङकन लगातार बढ़ना, दस्त, गण्डमाल, थकावट,अनिंद्रा, पिली त्वचा,नींद अधिक आना,आँखों में सूजन होना, जोड़ो में दर्द बने रहना,आवाज का भारी होना, लगातार कब्ज बने रहना, इम्यून सिस्टम का कमजोर होना, मासिक धर्म में अनियमितताएं,हड्डिया सिकुड़ना,और मांसपेशिओं की कमजोरी,आदि परेशानियां थायरॉइड के के लक्षण हो सकते है। अतः सुयोग्य चिकित्सक से तुरंत सलाह लेनी चाहिए।
थायरॉइड के मुख्य कारण- बेवजह की दवाओं का सेवन करना,जिनका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से थायरॉइड हो सकता है। टॉन्सिल्स,सिर और थाइमस ग्रंथि की परेशानी में एक्सरे करना भी थायरॉइड का कारण बन सकता है। अधिक तनाव या टेंशन का असर थायराइड ग्रंथि पर पड़ता ही है। परिवार में किसी को पहले से ही थायराइड की समस्या हो, तो अनुवांशिकता भी एक मुख्य कारण बन सकती है।
थायराइड की जाँच- थायराइड की जाँच फिजिओलॉजी व् स्क्रीनिंग थायराइड फंक्सन टेस्ट के जरिये की जाती है। फिजिओलॉजी प्रक्रिया में थायराइड को बढ़ाने वाले हार्मोन टी-3 और टी-4 की जाँच की जाती है।
इसके अतिरिक्त स्क्रीनिंग प्रिक्रिया से यह पता लगाया जाता है कि थायराइड की समस्या बचपन से तो नहीं है। थायरॉइड की जाँच का तीसरा तरीका टीएफटी। इस विधि के जरिये यह पता लगाते है की मरीज को हाइपर-थायराइड है य हाइपो-थायराइड। ⬤ अगूंठे के नीचे उभार वाले स्थान को दबाने पर दर्द होगा।
थायराइड समस्या का उपचार--
प्राकृतिक उपचार-
गले की गर्म-ठंडी सेंक- सर्वप्रथम रबर की थैली में गर्म पानी भर ले। ठन्डे पानी के भगोने में छोटा तौलिया डाल ले। गर्म सेक बोतल से एवं ठंडी सेक के लिए तौलिये को ठन्डे पानी में भिगोकर, निचोड़कर गले के ऊपर कर्मश: 3 मिनट गर्म व 1 मिनट ठंडी इस प्रकार कुल 18 मिनट तक करे। इसे दिन में 2 बार प्रात:-सायं कर सकते है।
गले की पट्टी लपेट -सर्वप्रथम सूती कपडे को ठन्डे पानी में भिगोकर निचोड़ ले। तत्पश्चात उसे गले में लपेट दे। इसके ऊपर गर्म कपडे की पट्टी को इस प्रकार लपेटे की नीचे वाली सूती पट्टी पूरी तरह से ढक जाये। इस प्रयोग को रात में सोने से पहले 45 मिनट के लिए करे।
गले में मिटटी की पट्टी-लगभग चार इंच लम्बी, तीन इंच चौड़ी एवं एक इंच मोटी मिटटी की पट्टी बनाकर गले पर रखे तथा कपडे से मिटटी को पूरी तरह से ढक दे। इस प्रयोग को दोपहर में 45 मिनट के लिए करे।
आयोडीन का प्रयोग-आयोडीन में मौजूद पोषक तत्व थायराइड ग्रंथि की कार्य-प्रणाली को ठीक रखता है। आयोडीन युक्त नमक का सेवन करे।
अदरक व मुलहटी का सेवन-अदरक में मौजूद गन जैसे पोटेशियम, मैगनीशियम आदि थायराइड की समस्या से निजात दिलवाते है। अदरक में एंटी इंफ्लेमेटरी गन थायराइड को बढ़ने से रोकता है और कार्य-प्रणाली में सुधार लता है। थायराइड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है। ऐसे में मुलहटी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। मुलहटी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथि को संतुलित बनाते है।
दूध और दही का सेवन- दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन थायराइड से निजात दिलाने में सहायक है। अतः दूध और दही का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए।
गेहू और ज्वार का साबुत अनाज-थायराइड ग्रन्थि को बढ़ने से रोकने के लिए आप गेहू और ज्वार का सेवन कर सकते है। गेहू तथा ज्वार आयुर्वेद में थायराइड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्रकिर्तिक उपाय बताया है क्युकी साबुत अनाज में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन आदि भरपूर मात्रा में होते है, जो थायराइड को बढ़ने से रोकता है।
फलो और सब्जियों का सेवन- सोया,सोया मिल्क, या टोफू या सोयाबीन में ऐसे रसायन पाए जाते है, जो हार्मोन को सुचारु रूप से काम करने में मदद करते है। लेकिन इसके साथ साथ रोगी को आयोडीन की मात्रा को भी नियंत्रित रखना होगा। सब्जियों में टमाटर, हरी मिर्च आदि का सेवन करे। फल और सब्जिया एंटीऑक्सीडेंट्स का प्राथमिक स्रोत होती है, जो की शरीर को रोगो से लड़ने में सहायता प्रदान करती है। सब्जियों में पाया जाने वाला फाइबर पाचन क्रिया को मजबूत करता है। इसीलिए खाना अच्छे से पचता है। हरी और पत्तेदार सब्जिया थायराइड ग्रंथि की क्रियाओ के लिए अच्छी होती है। हायपरथायरॉइडिज्म हड्डियों को पतला और कमजोर बनाता है। इसलिए हरी और पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
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अन्य उपचार - आयुर्वेदिक औषधीय पौधे जैसे अस्वगंधा, ब्राम्ही, काला अखरोट, फवैन,पत्थरचूर, गुग्गुल, बन-सांगली, बागान, फूलगोभी, सफ़ेद शलजम, बंदगोभी, सरसो, मूली, कतीरा, लहसुन, बिच्छू, बूटी,अलसी आदि ऐसे पौधे है, जो अपनी अपनी प्रयोग विधि के अनुसार थायराइड में प्रमुख लाभ देते हैं।
अपथ्य-थायराइड की संभावना बनने पर जितनी जल्दी हो सके चावल, मैदा, मिर्च , मसाले, खटाई, मलाई, अधिक नमक का सेवन, चाय, कॉफी, नशीली वस्तुएं, ताली भुनी चीजें, रबड़ी, मांशाहार आदि रोगी को बंद कर देना चाहिए। नमक में सेंधा नमक का इस्तेमाल करें।
योग द्वारा उपचार
mindful life के लेख अनुसार थयरॉइड के लिए योगा एक अचूक इलाज है थयरॉइड के मरीजों को योग का पालन जरूर करना चाहिए यहाँ पर योग के कुछ आसन दिये गए है
योग के आसन - कोणासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, हलासन, ग्रीवा चालन मुद्रा। उज्जायी, भ्रामरी, ओम ध्वनि, प्राणायाम। उदान शंख मुद्रा (बाद में ) 48 मिनट या 16 मिनट 3 बार करें।
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